मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों की बात करें तो प्रदेश में चारों तरफ हरियाली, नदी, पहाड़, ऐतिहासिक धरोहर धार्मिक स्थल और बहुत सारेऐसी जगह है जहां पर जाकर हम मनोरंजन के साथ-साथ अपने मस्तिष्क को शांति भी प्रदान कर सकते हैं,इसमें से कुछ पर्यटक स्थलों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे जिसमें से कुछ प्रमुख खजुराहो, ओरछा, भिंड, ग्वालियर, इंदौर, बांधवगढ़ और सांची जैसे स्थान पर स्थित है
आने वाले समय में अब हम लगातार मध्य प्रदेश से जुड़े विषय पर लगातार विस्तार से जानकारी प्राप्त करने व प्रदान करने का पूर्ण प्रयास करेंगे जिसमें से आज हम सांचीके विषय में बात करेंगे
सांची का इतिहास
सांची जैसे पर्यटन स्थल की अगर बात करें तो सांची का निर्माण करने में पूर्णतया योगदान सम्राट अशोक का रहा है यह सम्राट अशोक की देन है जिसकी वजह सेआज मध्यप्रदेश रायसेन जिले में स्थित सांची का स्तूप हमारे लिए पर्यटन स्थल के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहर भी हैऔर यह बौद्ध धर्म के लोगों की आस्था का वैश्विक केंद्र बन चुका है यहां पर सालाना हजारों लोग पूरे विश्व से सांची में सम्राट अशोक की स्मृति व सांची स्तूप के दर्शन करने व शांति का अनुभव करने आते हैं Tourism in MP
सांची के कुछ विशेष बिंदु
1 धर्म चक्र प्रवर्तन
2 स्तूप
3 गुफाएं
4 सम्राट अशोक से संबंध
5 जातक कथाओं के स्तूप
6 बौद्ध स्थल
7 बौद्ध आर्किटेक्चर
1 धर्म चक्र प्रवर्तन – मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची में स्थित सांची के स्तूप बौद्ध धर्म के ऐतिहासिक बौद्ध धर्म के धर्म चक्र प्रवर्तन का प्रतीक माना जाता है जो कि पूरे विश्व में स्थित बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों व पर्यटन स्थल में से एक माना जाता है जिसे बौद्ध धर्म केलोग अपने उत्थान के प्रतीक के रूप मेंबहुत महत्वपूर्ण मानते हैं
2 स्तूप – सांची के स्तूप पूरे विश्व में बौद्ध धर्म के शिल्प कलाओं का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण में से एक है इन स्तूपों का उत्थान मौर्य काल साम्राज्य में सम्राट अशोक और उनके उत्तरवादी राजाओं के द्वारा बनवाया गया था, इन स्तूपों में बौद्ध धर्म की चित्रकला, धर्म चक्र और भारतीय संस्कृति की अन्य बहुत सारे प्रतिक उपस्थित है जो की बहुत से आइकोनोग्राफिक तत्वों का प्रतिनिधित्व भी अपने अंदर समाहित रखता है ( Tourism in MP )
3 गुफाएं – सांची में जब भी आप पर्यटन के लिएआएंगे तो आपको सांची के चारों तरफ बहुत सारी गुफाएं या जिन्हें आप भिक्षुकीय गुफाएं भी कह सकते हैं आपको आसानी से दिखने में मिल जाएगी जो की पहले के समय में यहां पर भिक्षुओं के निवास के रूप मेंप्रयोग किया जाता था यह गुफाएं उनके निवास के साथ-साथ आकर्षक शिल्प कलाएं, चित्रकलाओं एवं बौद्धिकसंदेशों कोअपने अंदर समाहित रखता है
4 सम्राट अशोक से संबंध – जैसा कि हम सभी को ज्ञात है की सांची में स्तूपों का निर्माण मौर्य कालीन सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था, बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए सम्राट अशोक ने अपने मौर्यकालीन शासन में इन स्तूपों का निर्माण किया था और इसी के साथ-साथ बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित कर बौद्ध धर्म को सभी लोगों के बीच फैलाने का प्रयास भी किया था
5 जातक कथाओं के स्तूप – सांची के इन स्तूपों में जातक कथाओं का भी वर्णन किया गया है जातक कथाएं बुद्ध धर्म की शिक्षाओं को प्रसारित करने के उद्देश्य से बनाई जाती थी इनमें भगवान बुद्ध के जन्म व उदाहरणों को बौद्ध धर्म के प्रमुख धार्मिक लेखन एवं शिल्पकारों द्वारा बनाई गई थी बौद्ध धर्म के प्रचार का जातक कथाएं बहुत महत्वपूर्ण माध्यम व अंग थी
6 बौद्ध स्थल – सांची में स्थित स्तूप, मंदिर, गुफाएं बोधि वृक्ष यह सब बौद्ध धर्म के बहुत ही महत्वपूर्ण स्थलों के रूप में माने जाते हैं यहां पर स्थित गुफाएं संग्रहालय स्तूप एवं प्राचीन कालीन कलाकृतियां बौद्ध धर्म की सांस्कृतिक विरासत एवं धार्मिक महत्ता को भी प्रदर्शित करते हैं
7 बौद्ध आर्किटेक्चर – अगर आप सांची में चारों तरफ देखें तो सांची के स्तूप एवं अन्य भव्य संरचनाएं बौद्ध कलाकृति एवं वास्तुकला केबहुत ही अविषमरणीय उदाहरण प्रदर्शित करते हैं इन कलाकृतियों की विशेषता और उनकी शैलिया बौद्ध धर्म की चहूमुखी विकास को प्रदर्शित करती हैं tourism in mp
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